आर डी बर्मन की 86 वीं जयंती ,आशा भोसले ने इन शब्दों से किया याद ,जानिए

मुंबई/प्रसिद्ध संगीतकार राहुल देव बर्मन की आज 86वीं जयंती पर हर व्यक्ति उन्हें अपने अपने तरीके से याद कर रहा है । गायिका आशा भोसले ने संगीतकार आर.डी. बर्मन की जयंती पर उन्हें याद करते हुए कहा कि “इतने साल हो गए हैं, तब से मैं उनके और उनके पिता के साथ गा रही हूं, हमने कई अद्भुत गाने किए हैं। उनका जन्मदिन है लेकिन वे अब नहीं हैं, यह बहुत दुखद है… हम उन्हें याद करते हैं।
पंचम दा के नाम से प्रसिद्ध राहुल देव बर्मन एक ऐसे व्यक्ति है, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को गायकी के महत्व से परिचत कराया था। म्यूजिक इंडस्ट्री में एक्सपेरिमेंट करने के लिए मशहूर बर्मन का करियर बुलंदियों और दर्दनाक गुमनामी के बीच झूलता रहा, फिर भी उनका संगीत पीढ़ियों तक गूंजता रहा।
आर दी बर्मन के म्यूजिक कंपोजर के गानों की धुन हमारे दिलों-दिमाग में आज भी बसी हुई है । उनके गाने हर पीढ़ी के लोग पसंद करते हैं। प्रसिद्ध संगीतकार एसडी बर्मन ने कम उम्र में ही संगीत की शिक्षा शुरू कर दी थी। 60 से लेकर 80 के दशक तक कई सुपरहिट गीत रचने वाले आर डी बर्मन के ऐसे कई गीत है जो आज भी युवाओं के जुबान पर चढ़े हुए हैं।
उन्होंने महज नौ साल की उम्र में पहला गाना ‘ऐ मेरी टोपी पलट के आ’ बनाया था। इस गाने को इनके पिता सचिन देव बर्मन ने 1956 में बनी फिल्म ‘फंटूश’ में इस्तेमाल किया। खास बात यह है कि ‘सर जो तेरा चकराए या दिल डूबा जाए’ गाने की धुन भी आर डी बर्मन ने बचपन में ही तैयार कर ली थी जिसे इनके पिता ने 1957 में गुरुदत्त की फिल्म ‘प्यासा’ में प्रयोग किया। आर डी बर्मन को संगीतकार के रूप में पहला मौका 1959 में निरंजन नाम के निर्देशक की फिल्म ‘राज’ से मिला। हालांकि, यह फिल्म किसी वजह से पूरी रिलीज नहीं हो पाई। फेमस कॉमेडियन महमूद 1961 में बनी फिल्म ‘छोटे नवाब’ में एस डी बर्मन को बतौर संगीतकार लेना चाह रहे थे, लेकिन उन्होंने यह ऑपर छुकरा दिया। इसके बाद महमूद की नजर बगल में तबला बजा रहे राहुल पर पड़ी और उन्होंने इस फिल्म के लिए राहुल देव बर्मन को बतौर संगीतकार साइन कर लिया। 1965 में रिलीज हुई ‘भूत बंगला’ में पंचम दा ने एक छोटा सा रोल भी किया।