CG : मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने के बाद, बेटी अपने पिता के साथ सब्जी के कारोबार में बटा रही हाथ…
कुरुद। एक ओर लोग जहा नौकरी के लिए बडे बडे शहरो की ओर आगे पीछे भागते रहते है। चाहे उन्हे कोई भी छोटी मोटी नौकरी मिल जाए। ताकि लोग अपने पैरो पर खडे हो पाए। बेटिया भी इस काम में पीछे नही है। कुछ बेटियां ऐसी भी है। जो अपने पिता का हाथ बटा रही है। शिक्षित होने के बाद बेटिया खेती बाडी का काम कर रही है। धमतरी जिले के कुरूद चरमुडिया के रहने वाली स्मारिका चन्द्राकर मल्टीनेशनल कंपनी मे काम करने के बाद गाँव आकर अपने पिता के सब्जी के कारोबार आगे बढा रही है। इसके साथ 100 मजदूरो को रोजगार भी दे रही है।
दरअसल छत्तीसगढ को धान का कटोरा कहा जाता है। तभी यहा पर खरीफ और रबी की फसल ली जाती है। इसके साथ ही बडी मात्रा मे किसान सब्जी का कारोबार भी कर रहे है। खेती करने की बात हो। तो पुरुषों का ही वर्चस्व माना जाता रहा है। पर बीते कुछ सालों में इस क्षेत्र में भी बड़ा बदलाव आया है। बड़ी संख्या में लडकिया भी इससे जुड़ रही है। यही नहीं शिक्षित और कॉर्पोरेट जगत से जुड़ी लडकीं भी अब खेती में इनोवेशन कर खासी कमाई कर रही हैं। इनके उत्पादों को खासा पसंद भी किया जा रहा है। बता दे कि कुरूद के गांव चरमुड़िया की स्मारिका ने कम्प्यूटर साइंस में बीई फिर एमबीए किया। वे मल्टीनेशनल कंपनी से जुड़ गईं। सालाना 10 लाख रुपए पैकेज था। स्मारिका बताती हैं। पिता दुर्गेश किसान हैं। जनवरी 2020 में लिवर ट्रांसप्लांट के बाद उनकी सेहत खराब रहने लगी। छोटा भाई और बहन भी हैै.ऐसे में हमारे 19 एकड़ खेत और वहां काम करने वाले 100 मजदूरों का क्या होता। बस, तब से खेती की जिम्मेदारी मैंने ले ली। पापा को खेत में काम करते देखा है। इसलिए कुछ जानकारी थी। शुरुआत में परेशानी हुई। धीरे-धीरे सीखने लगी। स्मारिका बताती हैं। बेहतरीन क्वालिटी के बीज लगाने पर अच्छी फसल मिलने लगी। गुणवत्ता के कारण दिल्ली, यूपी, आंध्र, कोलकाता, बिहार व ओडिशा तक सब्जियों की डिमांड है। उनकी माने तो अभी 19 एकड मे टमाटर और बैगन की फसल लगी है। बाडी से टमाटर रोजाना 10 टन से लेकर 20 टन निकलती है। इसके साथ बैगन 3 टन से लेकर 6 टन निकलती है। स्मारिका अपने साथ 100 लोगो को रोजगार भी दे रही है। जिससे उनका परिवार चलता है। और खुश होकर काम कर रहे है।
इधर स्मारिका के पिता की माने तो खेती का काम 1980 से कर रहे है…और सब्जी बाडी का काम दो सालो से कर रहे है…धान की फसल मे मुनाफा नही होने से सब्जी बाडी की ओर रूख किया…तीन साल पहले तबियत खराब होने के बाद उनकी बेटी स्मारिका सब्जी का काम देख रही है…बीते साल सब्जी के कारोबार मे एक करोड का इजाफा हुआ था….जिसमे 50 लाख खर्च हुआ था…इस साल भी कारोबार अच्छा है…40 से 50 लाख की ब्रिकी हो गई है…..वही धमतरी जिले के प्रभारी कलेक्टर प्रियंका महोबिया ने स्मारिका के शिक्षित होकर एग्रीकल्चर के काम मे अपने पिता का हाथ बटा रही है…वह अच्छी बात है…कलेक्टर ने स्मारिका की सरहाना करते हुए कहा कि बेटिया भी अब एग्रीकल्चर को व्यावसाय के रूप मे देख रही है….बहरहाल स्मारिका जैसे बेटी पढ़ी लिखी होने के बाद अपने पिता के सब्जी का कारोबार को आगे बढा रही है…आसपास के गाँव के लोगो को भी रोजगार दे रही है…जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके….स्मारिका के काम को लेकर प्रशासन भी सरहाना कर रहे है।