दिल्ली/देश की राजधानी दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान से बड़ी खबर सामने आ रही है।बता दे कि दिल्ली स्थित एम्स के रेनसमवेयर साइबर अटैक की जांच के लिए अब कई केंद्रीय एजेंसियां जुटी हैं। एम्स का ऑनलाइन सिस्टम इतनी बुरी तरह से हैकरों का शिकार हुआ है कि वह चार दिन बाद भी पटरी पर नहीं आ सका।
जिसे लेकर सबसे बड़ी चिंता ये जताई जा रही है कि एम्स में सामान्य लोगों से लेकर देश के टॉप वीवीआईपी तक का इलाज हुआ है। अगर उनकी केस हिस्ट्री भी डिजिटल रही है और वह साइबर हमलावरों के हाथ लगी है तो वे उस डेटा का किसी भी तरह से दुरुपयोग कर सकते हैं। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह, कांग्रेस पार्टी की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सहित कई बड़े वीवीआईपी एम्स में भर्ती रहे हैं। इनके अलावा केंद्रीय सुरक्षा बलों के अधिकारी और जवानों का इलाज भी एम्स में होता रहा है।
इतना ही नहीं हैकरों ने फिरौती की भी मांग की है लेकिन सरकार की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई पहल नहीं हुई है। इन सबके बीच ये भी संभावना जताई जा रही है कि हैकर किसी ऐसे व्यक्ति या संगठन को वह डेटा बेच न दे जो उसका गलत फायदा उठा सकते हैं।
Cyber attack on AIIMS Delhi : Hackers demand allegedly ₹200 Crores in #Crypto to decrypt data, says report pic.twitter.com/lXkEqSxZeZ
— BITCOIN EXPERT INDIA (@Btcexpertindia) November 29, 2022
अगर बात करे नियमो की तो अभी तक भारत सरकार की पॉलिसी यही रही है कि ऐसे मामले में पैसे न दिए जाएं। अगर एम्स में बैकअप फाइल मौजूद है और वह साइबर हमले में बच गई है तो रेनसम मांगने वालों से बात नहीं की जाएगी। पांच साल पहले जब ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सिस्टम ‘एनएचएस’ पर रेनसमवेयर साइबर अटैक हुआ था, तो 14 दिन तक सारा सिस्टम ठप हो गया था। मैनुअल तरीके से काम करना पड़ा। भारत में चार साल पहले तक 48 हजार से ज्यादा ‘वेनाक्राई रेनसमवेयर अटैक’ डिटेक्ट हुए थे। इतना कुछ होने के बाद भी देश में साइबर अटैक से बचने का कोई प्रभावी सिस्टम तैयार नहीं हो सका है।