
रायपुर/ छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के बयान पर कहा, “इस प्रकार के बेबुनियाद और निराधार आरोप बताते हैं कि किस प्रकार INDI गठबंधन और RJD चुनाव से डरी हुई है। चुनाव आयोग जैसी निष्पक्ष संस्थाओं पर इस प्रकार उंगली उठाना उचित नहीं है। संवैधानिक ढ़ंग से चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष होकर काम करती है… इनके जंगलराज और भ्रष्टाचार को बिहार की जनता नहीं भूली है।”
बता दे कि जयराम रमेश ने चुनाव आयोग के संबंध में कहा था कि चुनाव आयोग बिहार की जनता को भटकाने का काम कर रहा है ।चुनाव आयोग को लेकर जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए लिखा है।
आज, भारत के प्रतिनिधिमंडल ने बिहार विशेष गहन पुनरीक्षण (“SIR”) के विषय पर चुनाव आयोग से मुलाकात की। चुनाव आयोग ने प्रतिनिधिमंडल से मिलने से इनकार कर दिया था, लेकिन उसे सचमुच मिलने के लिए मजबूर होना पड़ा। हममें से कुछ लोग चुनाव आयोग से नहीं मिल पाए, जिसने एकतरफा तौर पर प्रति पार्टी 2 प्रतिनिधियों की सीमा तय कर दी। मुझे खुद लगभग दो घंटे तक प्रतीक्षा कक्ष में भटकना पड़ा। पिछले छह महीनों में चुनाव आयोग ने खुद को इस तरह से संचालित किया है, जो हमारी लोकतांत्रिक प्रणाली के मूल आधार को कमजोर करता है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक निकाय है। यह विपक्ष की सुनवाई के अनुरोधों को नियमित रूप से अस्वीकार नहीं कर सकता। इसे संविधान के सिद्धांतों और प्रावधानों का पालन करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह राजनीतिक दलों के साथ बातचीत के लिए मनमाने नियम नहीं बना सकता है, जैसे कि उपस्थित होने वाले लोगों का पदनाम या उपस्थित होने वाले लोगों की संख्या या अधिकृत व्यक्ति कौन है या नहीं। जब प्रतिनिधिमंडल ने इन नए नियमों को मनमाना और भ्रमित करने वाला बताकर खारिज कर दिया, तो चुनाव आयोग ने हमें बताया कि यह एक ‘नया’ आयोग है। हम यह सोचकर कांप उठते हैं कि इस ‘नए’ आयोग की क्या योजना है। हम और कितने मास्टर स्ट्रोक की उम्मीद कर सकते हैं?
नवंबर 2016 में प्रधानमंत्री की ‘नोटबंदी’ ने हमारी अर्थव्यवस्था को नष्ट कर दिया था, अब बिहार और अन्य राज्यों में चुनाव आयोग की ‘वोट बंदी’, जैसा कि एसआईआर में दर्शाया गया है, हमारे लोकतंत्र को नष्ट कर देगी।