रायपुर /छत्तीसगढ़ में आदिवासियों के आरक्षण को लेकर बड़ा निर्णय लिया जा रहा है। जिसे लेकर आदिवासियों में उत्साह दिखाई दे रहा है तो दूसरी तरफ सामान्य वर्ग के लोग खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। ज्ञात हो कि पिछले दिनों भूपेश कैबिनेट की बैठक में विशेष रूप से आरक्षण के मामले में ही चर्चा हुई है और इस बैठक में एससी- एसटी और ओबीसी वर्ग के आरक्षण संशोधन विधेयक 2022 के प्रस्ताव को अनुमोदन किया गया है. इसके अलावा छत्तीसगढ़ शैक्षणिक संस्था में प्रवेश में आरक्षण संशोधन विधेयक के प्रस्ताव को भी अनुमोदन किया गया है. इस मामले में मीडिया को जानकारी देते हुए कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा कि आरक्षण पर मुख्यमंत्री ने कहा है कि जिसकी जितनी संख्या उतना उनका अधिकार बनता है, इसपर हम विधानसभा के विशेष सत्र पर विधेयक ला रहे हैं.
ज्ञात हो कि एक और 2 दिसंबर को अयोजित विधानसभा विशेष सत्र में आदिवासी 32%, ओबीसी 27% , एससी 13% और ईडब्ल्यूएस को 4% आरक्षण प्रस्तावित है। जिसे लेकर छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक जयप्रकाश चंद्रवंशी, सह संयोजक ब्रजेश पांडे, गोपाल दीक्षित, संजीव पांडे ने भूपेश बघेल सरकार पर आरक्षण के नाम पर सभी वर्गों को झुनझुना पकड़ाने का आरोप लगाते हुए कहा है कि मंत्रिमंडल की बैठक में आरक्षण पर जो प्रस्ताव पारित किया गया है, वह भूपेश बघेल सरकार की गोलमाल संस्कृति का नया प्रारूप है। यह प्रस्ताव जनता की आंखों में मिर्च पाउडर फेंकने का कुत्सित प्रयास है। मुख्यमंत्री, मंत्रियों, विधायकों के खिलाफ सामने आ रहे जन विरोध और भानुप्रतापपुर उपचुनाव में बिगड़ी हालत से घबराई भूपेश बघेल सरकार ने जनता को फुसलाने के लिए कुल 76 फीसदी आरक्षण का जो लॉलीपॉप दिखाया है, वह कोरी झाँसेबाजी है। धरातल पर यह टिक नहीं सकता।
इन सबके बाद अगर हम बात करे छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तावित विशेष सत्र के दौरान पारित होने वाले आरक्षण की तो सबसे ज्यादा ठगा हुआ वर्ग जो नज़र आ रहा है वह है इडब्लूएस वर्ग जिसका प्रतिशत 10 से घटा कर सीधे 4 कर दिया गया है।