कांग्रेस जब तक है आरक्षण में रोड़े अटकाती रहेगी।: ओपी चौधरी
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश महामंत्री ओ.पी. चौधरी ने कहा है कि आरक्षण को लेकर प्रदेश सरकार राजनीतिक दोमुँहेपन का परिचय दे रही है। श्री चौधरी ने कहा कि जब तक कांग्रेस सत्ता में है, आरक्षण लागू होने नहीं देगी। कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने बार-बार यह प्रमाणित किया है कि वह आरक्षण की पक्षधर नहीं है।
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री चौधरी ने कहा कि सबसे पहले आदिवासी भाइयों के लिये 32 प्रतिशत आरक्षण भाजपा के शासनकाल में लागू किया गया था। अपने पूरे शासनकाल में भाजपा सरकार ने उस व्यवस्था पर आँच नहीं आने दी। लगातार सभी को नौकरियाँ और सभी वर्गों को उनका हक़ मिलता रहा। श्री चौधरी ने कहा कि प्रदेश की मौज़ूदा कांग्रेस सरकार ने अपने ही व्यक्तियों को हाईकोर्ट में भेजकर यह आरक्षण रद्द कराया और आरक्षण रद्द करवाने के बाद उन्हें पुरस्कृत भी किया! आरक्षण के मुद्दे पर कांग्रेस के दोमुँहेपन पर कटाक्ष कर श्री चौधरी ने कहा कि 82 प्रतिशत आरक्षण का मसौदा आया जिस पर राज्यपाल ने भी हस्ताक्षर कर दिए थे। कांग्रेस ने उसे क़ानूनी रूप दिया नहीं, विधानसभा के पटल पर रखा नहीं; उल्टे अपने ही व्यक्ति से हाई कोर्ट में रिट लगाकर उस पर भी स्थगन आदेश ले लिया।
भाजपा प्रदेश महामंत्री श्री चौधरी ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा रद्द किए गए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट में भी सही तरीके से पक्ष नहीं रखा।श्री चौधरी ने कहा कि 76 प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव राज्यपाल को हस्ताक्षर करने दिया गया। राज्यपाल द्वारा इसके परिप्रेक्ष्य में 10 सामान्य-से सवाल पूछे जाने पर कांग्रेस की सरकार ने इन सवालों का जवाब नहीं दिया। इसमें क्वांटिफ़ायबल डाटा आयोग की रिपोर्ट भी मांगी गई थी। वह भी न तो राजभवन में दी गई, न विधानसभा के पटल पर रखी गई, न जनता को दिखाई गई और न ही मीडिया को बताई गई। श्री चौधरी ने कहा कि इससे यह बार-बार प्रमाणित हुआ है कि कांग्रेस आरक्षण की पक्षधर नहीं है और जब तक कांग्रेस सत्ता में रहेगी, लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।
माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इंदिरा साहनी वाद एवं अन्य अनेक मामलों में स्पष्ट किया है कि अतिरिक्त आरक्षण के लिये संख्या नहीं,बल्कि प्रतिनिधित्व की अपर्याप्तता आधार हो सकती है।लेकिन कांग्रेस सरकार ने कभी इस पर बात ही नहीं किया।क्योंकि आरक्षण ये देना ही नहीं चाहते।
भूपेश बघेल हर मामले की तरह आरक्षण पर भी ब्लेम-गेम की पोलिटिक्स करना चाहते हैं।इसीलिये अब 9वीं अनुसूची का लेटर केंद्र को लिख रहे हैं।जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य और अन्य अनेक मामलों में स्पष्ट किया है कि 9वीं अनुसूची के विषय भी न्यायिक समीक्षा के अध्य्धीन हैं,यदि वह संविधान के मूल ढाँचे के विपरीत हो।