बोरे बासी पर गहराई सियासत, श्रम मंत्री की शर्ट पर टिकी निगाहे
रायपुर/ छत्तीसगढ़ के श्रमिकों को सम्मान देने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 मई को छत्तीसगढ़ के सभी वर्गों से अपील की थी कि वे छत्तीसगढ़ की संस्कृति आहार को विश्व पटल पर लाने के लिए “बोरे बासी” खाते हुए अपनी फोटो सोशल मीडिया में अपडेट करे। जिसका परिणाम ये रहा कि बोरे बासी एक तरफ ट्विटर ट्रेंडिंग बन गया तो दूसरी तरफ इस पर राजनीति भी गहराने लगी।
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कुछ नेता ,अधिकारी बोरे बासी तिहार के माध्यम से सीएम की गुड बुक में शामिल होने नए कपडे, बोन चाइना के बर्तन और डायनिंग टेबल में बैठकर बासी खाते हुए अपनी तस्वीरें पोस्ट कर रहे है जिसे लेकर बीजेपी लगातार तंज कस रही है।
नगरीय प्रशासन एवं विकास मंत्री डॉ शिवकुमार डहरिया द्वारा किये गए पोस्ट पर बीजेपी लगातार उन्हें ट्रोल करते हुए कह रही है कि सी एम साहब प्रदेश के श्रम मंत्री छप्पन भोग के साथ थाईलैंड वाली शर्ट पहनकर ,चम्मच वाला बोर बासी खाकर श्रमिकों को कितना सम्मान दे रही ये साफ झलक रहा।
आमा के अथान अउ गोंदली साथ बोरे-बासी खाए के मज़ा ही गजब हे
हमर बोरे बासी में अतेक स्वाद अउ ताकत हे की भरे गर्मी में काम कर लेथन ये शरीर ला ठंडा रखथे अउ पाचन के भी बने काम करथे। ये हमर परंपरा हे संगवारी येला आगू बढ़ाये बर ही हमर मुखिया जम्मों झन ला बोले हे।#HamarBoreBaasi pic.twitter.com/oQPtoBg85A— Dr. Shiv Kumar Dahariya (@drshivdahariya) May 1, 2023
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क्या है बोरे बासी
इसे आमतौर में मजदुर,किसान और ग्रामीणों का मुख्य भोजन माना जाता था जिसे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर आज विश्व पटल में स्थान मिला है। रात के बचे भात(चावल )को पानी में डुबाकर रख दिया जाता है जिसे सुबह खेतिहर काम में जाने से पहले नून (नमक), मिर्चा (मिर्च ), गोंदली (प्याज ), अमटाहा साग (खट्टी सब्जी ) के साथ खाकर दिन भर काम करते हैं।सामान्य तौर पर देखे तो ये फर्मेटेड चावल होता है और इस प्रक्रिया में चावल में कई स्वास्थ्य वर्धक गुणों का समावेश हो जाता है जो सामान्य चावल की तुलना में अधिक लाभकारी हो जाता है।