उत्तरप्रदेश/मैनपुरी उपचुनाव में सिर्फ सपा की जीत ही नहीं बल्कि परिवार को जोड़ने का भी काम किया इसका सीधा उदाहरण देखने को मिला जहां कुछ दिनों से चाचा भतीजे में अनुपम चल रही थी तो आज वही डिंपल की जीत के बाद अखिलेश यादव ने चाचा को थमाया सपा का झंडा और सिर्फ झंडा ही नहीं कमाया बल्कि पार्टी का भी विलय कर दिए अब चाचा और भतीजा एक ही झंडे के नीचे नजर आएंगे कहा यह भी जा रहा है चुनाव में जाने से पहले डिंपल ने पैर छूकर उनसे आशीर्वाद ली और दोनों को मिलाने का काम किया तो दूसरी तरफ शिवपाल यादव के बेटे आदित्य यादव और उनके भतीजे गाड़ी से झंडा बदलते हुए भी दिखाई पड़े चाचा और भतीजा के एक हो जाने से 2024 के लोकसभा चुनाव में भी असर देखने को मिलेगा यूपी चुनाव के पहले शिवपाल यादव को सिर्फ एक सीट मिली थी तो वहीं चुनाव के बाद विधायक दल की बैठक में अपनी उपेक्षा को देखते हुए शिवपाल यादव ने अखिलेश यादव को चेतावनी भी दी थी जिसका खामियाजा पार्टी के संगठन और चुनाव मैं देखने को मिला इस बार मैनपुरी के उपचुनाव में नेताजी की विरासत को बचाने के लिए परिवार को एक होना पड़ा इसका सीधा असर दिखाई पड़ा जहां 2019 में नेताजी सिर्फ 94000 वोटों के अंतर से जीते थे तो वही 2022 के उपचुनाव में डिंपल यादव ने ढाई लाख का आंकड़ा पार किया सपा को बसपा से गठबंधन करने का भी कोई खासा फायदा देखने को नहीं मिला लेकिन चाचा और भतीजे के एक हो जाने से यह बड़ा अंतर देखने को मिला अब सोचा और भतीजे की आगे की क्या रणनीति होगी यह आने वाला वक्त बताएगा