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अमलीडीह शासकीय जमीन बनी गले की फांस, राजस्व एवं आपदा विभाग पर उठ रहे सवाल

निरस्त नहीं हुआ जमीन आबंटन – आयुक्त ने 11 दिसंबर को भेजा प्रतिवेदन । निरस्त नहीं हुआ आबंटन आयुक्त के रिपोर्ट के बाद15 दिन बीते, बिल्डर को कचना की जमीन भी दे दिया। छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार की जांच करने वाले एजेंसियों साख पर बड़ा सवाल है? बिल्डर को पैसा जमा करने से रोका, राजस्व विभाग ने 28 जून 2024 को आबंटित की थी जमीन अमलीडीह जमीन विवाद प्रशासन के लिए बन गया गले की फांस जमीन आबंटन बन गया राजधानी का सबसे बड़ा राजनीतिक मुद्दा राज्य सरकार और जिला प्रशासन के लिए राजधानी के अमतलीडीह में 3.203 हेक्टेयर शासकीय भूमि बिल्डर को आबंटित करने का मामला गले की फांस बन गया है।

राजस्व एवं आपदा विभाग ने बिल्डर को 28 जून 2024 को यह जमीन आबंटित कर दी है, किंतु विवाद खड़ा होने के बाद उक्त बिल्डर को पैसा जमा करने के लिए मना कर दिया गया है। इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री विष्णुदेव साया के पास पहुंच गई हैं और उन्होंने रायपुर कमिश्नर से जमीन आबंटन को लेकर रिरेपोर्ट मांगी है। हालांकि कमिश्नर की कमिशनर नहीं कर सकते मंत्री के निर्णय की जांच रायपुर से दिल्नी तक हर शख्स की भूमिका की हो रही खोज खबर रिपोर्ट केवल आवेदक के आवेदनों की प्रक्रिया समझने के लिए है, अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री को ही लेना है। बिल्डर को शासकीय जमीन आबंटित करने का मामला राजधानी के लिए बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन गया है। हैरान करने वाली बात यह है कि बिल्डर को जमीन देने के मुद्दे पर भाजपा और कांग्रेस के नेता एक ही सुर में बोल रहे हैं। इसमें बिल्डर को जमीन आबंटन का विरोध हो रहा है।अमलीडीह में निवासरत करीब 40 हजार रहवासियों के लिए यह मुद्दा अब प्रतिष्ठा का बन गया है, क्योंकि इस इलाके में अब कोई शासकीय भूमि नहीं है, यहां कई पाश कॉलोनियां डेवलप हो चुकी हैं इसलिए जनता भी शासकीय भूमि में कॉलेज खोलने की मांग कर रही है और धरना-प्रदर्शन का सिलसिला जारी है।

पूर्ववर्ती कांग्रेस जमीन आबंटन का अंतिम फैसला अब मुख्यमंत्री लेंगे सरकार में किया था आवेदन -अमलीडीह की 3.203 हेक्टेयर शासकीय जमीन को लेकर बिल्डर ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में गत 14 फरवरी 2022 को आवेदन किया था।नियमानुसार आवेदन को सभी विभागों से एनओसी के लिए भेजा गया। इस बीच अमलीडीह जमीन विवाद के एक मामले में हाईकोर्ट बिलासपुर में सुनवाई चल रही थी, जिसके चलते जमीन का आबंटन नहीं किया जा सका। स्टे हटते ही जमीन के लिए आवेदन तहसीलदार को दिया। यह तहसीलदार से एसडीएम और एसडीएम से कलेक्टर तक पहुंचा। सभी ने इस आबंटन को लेकर अनुमोदन किया। आखिरी में राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी के समक्ष यह मामला पहुंच , राज्य शासन के सामान्य प्रशासन विभाग का मंत्रालय विजनेस रूल कहता है कि यदि मंत्री ने कोई निर्णय ले लिया है, तब उसका रिख्यू संभागायुक्त (कमिश्नर) नहीं कर सके। मंत्री के निर्णय पर रिव्यू का अधिकार केवल मुख्यमंत्री को है। लिहाजा कमिश्नर द्वारा मंगाई जा रही रिपोर्ट को प्रशासनिक जानकार हास्यास्पद करार दे रहे हैं, क्योंकि जमीन आबंटन की एक प्रतिलिपि संभागायुक्त को भी भेजी गई है, इसलिए माना जा रहा है कि उनकी जानकारी में जमीन आबंटन का मसला छह महीना पहले ही आ चका है। जमीन आबंटन बना राजनीतिक मुद्दा विधानसभा में उठेगा सवाल राजधानी में अमलीडीह का जमीन आवंटन मुद्दा राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है।

5c2e0fed db7f 49a6 9da1 4218a24c402d अमलीडीह शासकीय जमीन बनी गले की फांस, राजस्व एवं आपदा विभाग पर उठ रहे सवाल

इसमें भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं। राजनीतिक जानकार और भाजपा के सूत्र बताते हैं कि सत्तपक्ष के एक विधायक ने बकायदा इस मसले को लेकर 16 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा शीतकालीन सत्र में सवाल भी लगाया है और दिल्ली जाकर केंद्रीय नेताओं से इसकी शिकायत भी की है। जमीन आबंटन का मसला चूंकि दिल्ली पहुंच गया है, लिहाजा जमीन आबंटन की इस पृष्ठभूमि को लेकर भाजपा संगठन और वीआईपी रोड स्थित एक मंदिर से जुड़े हुए लोगों की रुचि पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
भाजपा संगठन ने इस मसले में गेंद राज्य सरकार के पाले में डाल दी है। क्या है अमतलीडीह जमीन विवाद की वजह? अमलीडीह सरकारी जमीन विवाद की मुख्य वजह पूर्व विधायक सत्यनारायण शर्मा द्वारा कांग्रेस शासनकाल में शासकीय कॉलेज को लेकर की गई घोषणा बनी है। शर्मा ने विधायक रहते हुए इसी भूमि पर शासकीय कॉलेज खोलने की घोषणा की थी और शासकीय भूमि कॉलेज को आबंटित करने के लिए आवेदन भी दिया था, चूकि इस आवेदन की रफ्तार धीमी रही, जिसके चलते बिल्डर का आवेदन तेजी से आगे बढ़ा। अब चूकि अमलीडीह में कोई भी शासकीय जमीन नहीं है, लिहाजा पूर्व विधायक शर्मा ने बिल्डर को जमीन देने पर आपत्ति जताई। उनकी इस आपत्ति के साथ वर्तमान विधायक उस इलाके के पार्षद व पूर्व पर्षद ने भी आपत्ति जताई और जमौन आबंटन का विरोध करने के लिए एक समिति का गठन भी कर लिया गया । जिस स्कूल में अमलीडीह का कॉलेज लग रहा है, उसकी शाला विकास समिति के अध्यक्ष भी विल्डर के खिलाफ मोर्चा खोलकर खड़े हो गए हैं।

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