चिरमिरी की बंद होती कोयला खदानों को छोड़ प्राइवेट कोल माइंस पर टिका जिले का भविष्य,जानिए वजह
अविनाश चंद्र की रिपोर्ट
एमसीबी/छत्तीसगढ़ प्रदेश का जिला मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर के अंतर्गत आने वाले काले हीरे की नगरी चिरमिरी जहां अपने पलायन और अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है ऐसे में चिरमिरी क्षेत्र की बंद होती खदानें और चिरमिरी का अस्तित्व और भविष्य को लेकर जहां एक और साउथ ईस्टर्न कोल्ड फील्ड लिमिटेड चिरमिरी प्रबंधन मौन धारण कर कर बैठा है वही जनप्रतिनिधि और बुद्धिजीवी चिरमिरी को लेकर शायद मजाक ही बना रहे हैं जहां एसईसीएल प्रबंधन चिरमिरी के अस्तित्व और भविष्य को लेकर अभी तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया है और वह उठा तो क्यों उठा यह भी एक प्रश्न है कोल इंडिया का साउथ ईस्टर्न कोल्ड फील्ड लिमिटेड जो की चिरमिरी क्षेत्र में खुली खदान और बंद खदान के माध्यम से कोयले का उत्खनन करता रहा है वही चिरमिरी के अस्तित्व और भविष्य को लेकर कोई कार्य नहीं किया आपको जानकर आश्चर्य होगा चिरमिरी में आज भी कोयले के असीम भंडारण पाए गए हैं लेकिन एसईसीएल चिरमिरी प्रबंधन की बेहतर की तरीके से कोयला की खदानों से कोयला का दोहन आज चिरमिरी क्षेत्र में कोयल की बंद होती खदानें मुख्य कारण रही है अभी कुछ दिन पहले ही बरतुंगा कोल माइंस को बंद कर दिया गया और क्षेत्र में यह बयार चला दिया गया कि कोयला उत्खनन की कुछ प्राइवेट माइनिंग करने वाली कंपनी चिरमिरी क्षेत्र में आ रही है और चिरमिरी के स्थानीय लोगों को उसमें रोजगार दिया जाए ताकि चिरमिरी का अस्तित्व और भविष्य बचाया जा सके कहने का पूरा मतलब यह है कि जहां चिरमिरी क्षेत्र में एसईसीएल करीब 70 से 80 वर्षों तक कोयल का अनवरत उत्खनन किया कोयल का अनवरत उत्खनन किया लेकिन चिरमिरी को विकसित बनाने में कोई सार्थक योगदान नहीं दिया जबकि साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड लिमिटेड के पास सी एस आर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी) मद होता है जिसके माध्यम से अनेक विकसित कार्य किए जा सकते हैं लेकिन इस और चिरमिरी के ना तो एसईसीएल प्रबंधन और ना ही कोई जनप्रतिनिधि किया यही कारण है कि आज चिरमिरी विस्थापन और पलायन की समस्या से जूझ रहा है यहां के युवा बेरोजगारी की दौड़ से गुजर रहे हैं और दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश के लिए चिरमिरी क्षेत्र से पलायन कर रहे हैं लेकिन इस और ना तो किसी जनप्रतिनिधि का कोई ध्यान है और ना ही छत्तीसगढ़ राज्य सरकार का आज जिला एमसीबी बसा बसाया चिरमिरी शहर वीरान होने की कगार पर खड़ा है यहां के जनप्रतिनिधि से लेकर बुद्धिजीवी इन दोनों बंद होती खदानों पर चिंता नहीं कर रहे हैं जबकि अभी महीना भर पहले बरतुंगा अंडरग्राउंड माइन्स बंद कर दी गई उसे पर चिंता और चिंतन नहीं किया गया एसईसीएल प्रबंधन के द्वारा प्राइवेट माइनिंग को लेकर जानकारी दी गई तो यहां के बुद्धजीवी की भी और कुछ लोगों ने प्राइवेट माइनिंग कंपनी में स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार देने की मुहिम से छेड़ दी लेकिन दुर्भाग्य कहेंगे कि चिरमिरी की बंद होती खदानें और एसईसीएल चिरमिरी प्रबंधन की लापरवाह पूर्ण कोयल का उत्खनन और दोहन आज चिरमिरी को वीरान शहर बनाने की कगार पर छोड़ दिया है जहां कभी इस चिरमिरी शहर की कुल जनसंख्या लाखो में हुआ करती थी आज यहां की जनसंख्या पलायन होते-होते 40 से 50 हजार की ही रह गई है अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले कुछ वर्षों में चिरमिरी शहर इतिहास के पन्नों में गुम होने वाले शहर के रूप में दर्ज हो जाएगा आज जहां एक तरफ एसईसीएल चिरमिरी प्रबंधन चिरमिरी के अस्थाई तौर भविष्य पर कोई काम नहीं कर रहा है वही छत्तीसगढ़ प्रदेश सरकार भी चिरमिरी के पलायन को रोकने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठा रहा इस शहर से प्रतिमाह लोग पलायन कर रहे हैं यदि छत्तीसगढ़ सरकार जल्द ही कोई सार्थक कदम नहीं उठाती तो यह चिरमिरी शहर जो करीब 70 से 80 वर्षों से अपना सीना चीरकर पूरे भारतवर्ष को ऊर्जा दे रहा था लेकिन यह कहना गलत नहीं होगा कि आज चिरमिरी जो देश को ऊर्जा देने के साथ देश को विकास और विकसित देश बनाने में अपना योगदान दिया आज वही चिरमिरी अपनी अस्तित्व और वीरान होने के कगार पर खड़ा है यह चिरमिरी और छत्तीसगढ़ प्रदेश की बुद्धिजीवियों के लिए यक्ष प्रश्न है