बांग्ला भाषा स्कूलों में पड़ाने की शिक्षा संग्राम समिति ने मांग की।
पखांजूर-कांकेर/ ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के जन्मदिन में बांग्ला भाषा स्कूलों में पड़ाने, बांग्ला भाषाओं कि शिक्षकों कि नियुक्ति, बांग्ला भाषाओं कि पुस्तकें आदि मांग पर धरना दिया और विद्यासागर के छायाचित्रों को सिनेसे लगाकर पखांजुर में रैली प्रदर्शन कर छःग मातृभाषा बांग्ला एवं शिक्षा संग्राम समिति ने राज्यपाल, मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री, उपमुख्यमंत्री मुख्य सचिव, अनुविभागीय रा.अधिकारी, खण्ड शिक्षा अधिकारी पखांजूर आदि के नाम पर अनुविभागीय अधिकारी रा.एवं तहसीलदार के अनुपस्थिति में अनुविभागीय अधिकारी रा.और तहसील कार्यालय में लेखापाल के हाथो ज्ञापन सौपा।
ईश्वरचन्द्र विद्यासागर छायाचित्र पर समिति अध्यक्ष अजित मिस्त्री ने माल्यार्पण किया। और.उपस्थित जनों ने फुल-माला चड़ाये।इला बाड़ाई, कल्पना चंद, ज्योत्स्ना अधिकारी आदि ने प्रेड़णा दायक संगीत की प्रस्तुति दी। महेश मण्डल ने उनकी रचित बांग्ला भाषा के प्रति समार्पित कविता पाठ किया। अजित मिस्त्री, रंजन विश्वास, सुबल विश्वास, निरांजन सरकार, अनिमेष विश्वास, प्रफुल्ल कुमार मण्डल, खगेन्द्र नाथ, मण्डल, गोपाल सिकदर, निबास अधिकारी आदि ने सभा संबंधित करते हुए कहां है कि विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने कहां मातृभाषा मातृदूग्धबांग्लाभाषा दुनिया में भाषा आन्दोलन सामाजिक विविध परिवर्तनों में महान योगदान दिया है। बांग्लाभाषा के महान विश्वकवि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर की मधुर भाषा में प्रभावित होकर तत्कालीन समय उन्हें विश्व कवि उपाधि से सम्मानित किया है। ईश्वर चन्द्र विद्यासागर ने ही बंग्ला भाषा को उन्नत किया। उनकी महान योगदान यह है कि शिक्षक कैसे पड़ायेंगे, शिक्षा का विस्तार की योजना बनाई, उच्च गुणवत्ता वाले शिक्षकों का बनने कि बुनियादी ढांचा रखें, शिक्षकों कों प्रशिक्षण देकर शिक्षा देने योग्य बनाए, स्कूलों की पाठ्यक्रम कैसे होगी उसका लेखन और मुद्रण, प्रकाशन कर, प्रकाशित किया, स्कूलों में छात्रों को इन्सानियत कि शिक्षा देकर महान इंसान बनाने में योगदान दी, नारि शिक्षा, रुढ़िवादी चिंतन के विरुद्ध भौतिक वादि चिंताधारा को विकसित किया, धर्मांधता के खिलाफ आजीवन निरंतर संघर्ष किया, विधवा विवाह प्रचलन किया।
स्कूल से लेकर उच्च शिक्षाओं कि महाविद्यालयों में भी उन्होंने महान शिक्षा सामाजिक, नैतिक, बौद्धिक आदि कि बुनियाद रखें,उन्हें आजीवन अथक संघर्ष किया, एक के बाद एक कठिन से कठिन समाजिक कुड़ीतिओं के खिलाफ लड़ाई लड़े। उन्होंने ही कठिन बांग्ला वर्णमाला को आसान वर्ण से परिचित कराया वर्णपरिचय, कथामाला, बोधोदय आदि पुस्तके तथा आधुनिक साहित्य के प्रणेता के रूप में अनेक साहित्य लिखे।कठिन व्याकरण को समझने में आसान बनाने के लिए व्याकरण कौमुदी की रचना की हम उस मातृभाषा बांग्ला भाषा से वंचित होने जा रहे हैं। आज भी भारत के साथ-साथ दुनिया भर की लोगों के दिलों की गहराईओं को आसानी सज छुं लेते है। यही मातृभाषा बंग्लाभाषा दुनियाभर में उच्चम स्थानों में विराजमान है। ईश्वरचन्द्र विद्यासागर के जन्मदिन पर मातृभाषा बांग्ला भाषा स्कूलों में पढ़ने छ,ग पाठ्यक्रम में बांग्ला भाषा को जोड़ने, छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम एवं माध्यमिक शिक्षा मण्डल रायपुर कि प्रकाशन में मुद्रित करें। शासन द्वार बांग्ला पुस्तक मुफ्त मे वितरण करें। पहली से 12वी कक्षा तक बांग्ला पड़ाने हेतु पुस्तक लायब्रेरी, बांग्ला भाषा पड़ाने कि शिक्षकों कि नियुक्ति, अंक सुची में बांग्ला भाषा में परिक्षा परिणाम प्राप्त अंक जोड़ने हेतु ऑनलाइन एवं मार्कसीट में बांग्ला लिखे और जगह रखा जाए आदि मांग जल्द पुरी करने को लेकर गगनभेदी नारा लगे उक्त मांगो पर और आन्दोलन और तेज करेंने कि घोषणा कि।गनेश, प्रदीप, अमृत, सुखदेव, पलाश, विष्णु, विप्लव, सपन, रीना, ईला, अजय, हाराण, कमल, पुनम, अनिल, मृदुल, प्रकाश, श्रीहरी नाथ, अमृत, प्रफुल्ल, सत्यरंजन, अलोक आदि उपस्थिति रहे।