अब तक 23 हजार से अधिक कृषकों ने वृक्षारोपण के लिए दी सहमति
रायपुर, 28 जुलाई 2023/ छत्तीसगढ़ में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ‘‘मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना’’ लागू की गई है। राज्य में योजनांतर्गत अब तक 23 हजार से अधिक हितग्राहियों द्वारा लगभग 36 हजार एकड़ निजी भूमि में मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना अंतर्गत वृक्षारोपण के लिए सहमति प्रदान कर दी गई है। इनमें पांच एकड़ से अधिक रकबा वाले किसानों का 09 हजार एकड़ रकबा में वृक्षारोपण का पंजीयन भी शाामिल है।
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मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप राज्य में वृक्षों के व्यावसायिक उपयोग को बढ़ावा देने की अपार संभानाओं को देखते हुए यह योजना लागू की गई है। योजनांतर्गत कृषकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से कृषकों की सहमति पर उनके भूमि पर वाणिज्यिक वृक्षारोपण किया जाना है।
वन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना में किसानों द्वारा विशेष रूचि दिखाई जा रही है। मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजना अंतर्गत अब तक पंजीकृत रकबा में टिशू कल्चर सागौन के लिए 2 हजार 600 एकड़, साधारण सागौन- 5 हजार एकड़ तथा टिशू कल्चर बांस के लिए 600 एकड़ शामिल है। इसके अलावा साधारण बांस-700 एकड़, क्लोनल नीलगिरी-18000 एकड़, चंदन-1300 एकड़, मिलिया डूबिया-825 एकड़ सम्मिलित है।
राज्य में योजनांतर्गत 36 हजार एकड़ रकबे में वृक्षों का होगा रोपण
इस संबंध में प्रधान मुख्य वन संरक्षक व्ही. श्रीनिवास राव ने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्ष सम्पदा योजनांतर्गत राज्य में इस वर्ष विभिन्न प्रकार के प्रजाति के वृक्ष का 36 हजार एकड़ रकबे में रोपण किया जाएगा। मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना अंतर्गत समस्त वर्ग के सभी इच्छुक भूमि स्वामी पात्र होंगे। इसके अलावा शासकीय, अर्धशासकीय तथा शासन के स्वायत्व संस्थान जो अपने स्वयं के भूमि पर रोपण करना चाहते हैं, पात्र होंगे। इसी तरह निजी शिक्षण संस्थाएं, निजी ट्रस्ट, गैर शासकीय संस्थाएं, पंचायतें, भूमि अनुबंध धारक, जो अपने भूमि में रोपण करना चाहते हैं, वे पात्र होंगे।
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मुख्यमंत्री वृक्ष संपदा योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में वाणिज्यिक वृक्षारोपण को बढ़ावा देना है। इसके तहत राज्य के सभी कृषकों, शासकीय, गैर शासकीय, अर्धशासकीय, पंचायतें, अथवा स्वायत्व संस्थानों की भूमि पर वाणिज्यिक प्रजातियों के वृक्षारोपण उपरांत सहयोगी संस्था, निजी कंपनियों के माध्यम से निर्धारित समर्थन मूल्य पर वनोपज के क्रय की व्यवस्था करते हुए एक सुदृढ़ बाजार व्यवस्था आदि सुनिश्चित करना है।