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साहित्य सृजन संस्थान की खास पहल काव्य संध्या के साथ किया विशिष्ट कवियों का सम्मान



रायपुर/साहित्य को समर्पित संस्था साहित्य सृजन संस्थान द्वारा 25अप्रैल, को काव्य संध्या एवं रचनाकारों सम्मान कार्यक्रम वृंदावन हॉल सिविल लाइन्स रायपुर में आयोजित किया गया। इस खास मौके पर मातृ शक्ति ने बढ़चढ़ हिस्सा लिया।ज्ञात हो कि साहित्य सृजन संस्थान अब तक 32 काव्य संध्या का आयोजन कर नवोदित कवियों को मंच प्रदान कर चुकी है ।संध्या द्वारा आयोजित मासिक काव्य गोष्ठी में लगातार बढ़ोतरी देखी जा रही है।

इस खास कार्यक्रम में अनेक कवियों ने कविता पाठ किया जिनमें कुछ खास रहे।


गिर कर भी संभलते जा रहे हैं
मुसीबत को कुचलते जा रहे हैंसियासत पर सियासत हो रही है
नए पहलू निकलते जा रहे है
सुख़नवर हुसैन


थे सूरज की रौशनी में जो रात आई तो हम ने जाना
ज़लील कर देगा चांदनी का ज़रा सा अहसान भी उठानाबहोत ग़नीमत है हम से मिलने कभी कभी के ये आने वाले
नहीं तो उजड़ी हवेलियों में पसंद करता है कौन आना
जावेद नदीम नागपुरी

1003409716 साहित्य सृजन संस्थान की खास पहल काव्य संध्या के साथ किया विशिष्ट कवियों का सम्मान
महिला प्रकोष्ठ अध्यक्ष ममता खरे “मधु”


दुआ करुं न कोई बद्दुआ करुं
करके बुरा किसी का मैं ख़ुद का भला करूंसह-सह के दर्द इश्क़ का मज़बूत हो गया
आख़िर मैं ऐसे मर्ज़ की अब क्यूँ दवा करुं

(आर डी अहिरवार)


होती है जो रुस्वाई तो हो लेने दें l
अपनी ज़ुल्फ़ों की घनी छाँव में सो लेने दें l
बाद में जितना सताना हो सताना ज़ालिम,
प्रीत का पहले मगर बीज तो बो लेने दें l

उमेश कुमार सोनी ‘नयन’


[भर भी तुम जुदा न होते,
मेरी मन की यादों से,
कानों में गुंजित है स्वर,
तुम्हारे मधुर संवादों से,
वन्दना ठाकुर


“आसमान में पहुंचा मानव,
किंतु गिर रहे संस्कार हैं कितने,
कुछ तो भूल हुई है मनुज से,
खोई मानवता को जगाना सीखें”
डॉ मृणालिका ओझा


गए वे गाँव हमारे ,
कहाँ गए वे लोग |
जहाँ सभी रहते थे मिलकर,
तन-मन थे नीरोग||
डॉ. सरोज दुबे ‘विधा’

क्या जाने मेरे दौर के कैसे हैं आदमी।
गिरगिट की तरह रंग बदलते हैं आदमी।
मुंह पर तो बांधते हैं सिपासो सना के पुल।
और पीठ पीछे ज़ह्र उगलते हैं आदमी।

आलिम नक़वी
एक की उम्मीद पर
खरा ना उतर सका
हर एक के हिसाब से
भला ना कर सका
चाहते से सब कि उनका
भरपूर सम्मान हो
हम ही अकेले पड़ गए
महिलाओं की भीड़ मे

के सिलसिले ना बंदियों को मानते अब,
दूर तक चलकर थकेंगे भावना के पाँव जब- जब।
तब अंधेरों में फँसी उस याचना को भी समझ लूँ ,
फिर उड़ानों के कतरकर पंख,मन को बाँध लूँगी मैं ।

डॉ गीता विश्वकर्मा ‘नेह

इस काव्य संध्या में अंजु पाण्डेय,सुमन शर्मा बाजपेई,मंजूषा अग्रवाल,दीपिका ऋषि झा, आयशा अहमद खान,रेणु तिवारी नंदी,डॉ.भारती अग्रवाल,बलजीत कौर सब्र, डॉ.सरोज दुबे विधा,योगिता तलोकर,अनिता शरद झा, नंदिनी लहेजा, डॉ. मृणालिका ओझा,ज्योति परमाले, शशि किरण इंदु वर्मा,विद्या भट्ट,रवि बाला ठाकुर,रुचि मुले दीक्षित,अदिति तिवारी, अनामिका शर्मा शशि,विजया पाण्डेय, विजया ठाकुर,सीमा पाण्डेय सीमा, डॉ.संध्या रानी शुक्ला,सुषमा पटेल, शुभा शुक्ला निशा, रूनाली चक्रवर्ती, प्रमदा ठाकुर,ने भाग लिया।

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