Indian Railway में आज भी चलता है Token Exchange, जानिए क्या है ये ?
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डेस्क / हम सब बरसो से ट्रेनो में यात्रा करते रहे हैं लेकिन बहुत कम लोग ही हैं जो जानते है कि अग्रेजो के ज़माने से चली आ रही रेल यात्रा के कुछ नियम हैं जो आज तक नहीं बदले हैं। एक तरफ सुपर फ़ास्ट ट्रेनों ने दौड़ना शुरू कर दिया है तो दूसरी तरफ सालो पुराण टोकन एक्सचेंज सिस्टम है जो आज भी काम कर रहा है।
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टोकन एक्सचेंज में टोकन लोहे का एक बड़ा छल्ला होता है। स्टेशन मास्टर लोकोपायलट यानी ट्रेन के ड्राइवर को यह छल्ला देता है। लोकोपायलट को टोकन मिलने का यह मतलब होता है कि वह जिस ट्रैक पर गाड़ी चला रहा है वह लाइन पूरी तरह से क्लीयर है उसमें कोई और गाड़ी नहीं है। जब गाड़ी स्टेशन पर पहुंच जाती है तो ड्राइवर इस टोकन को जमा कर देता है और फिर वह टोकन उस ट्रैक पर चलने वाली दूसरी गाड़ी के ड्राइवर को दे दिया जाता है।
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ज्ञात हो कि टोकन एक्सचेंज सिस्टम के माध्यम से ही एक ट्रेन दूसरे स्टेशन की ओर प्रस्थान करती है।टोकन एक्सचेंज में लोहे के छल्ले में लोहे की एक बॉल होती है। इस बॉल को टेबलेट कहते हैं। स्टेशन मास्टर ड्राइवर से टोकन लेकर टोकन बॉल को स्टेशन पर लगे नेल बॉल मशीन पर फिट करता है। इससे अगले स्टेशन तक रूट क्लीयर माना जाता है। अगर किसी वजह से ट्रेन स्टेशन पर नहीं पहुंचती तो इससे पिछले स्टेशन पर लगी नेल बॉल मशीन अनलॉक नहीं होगी और उस स्टेशन से कोई भी ट्रेन उस ट्रैक पर नहीं आ पाएगी।