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बडी तीज या सातुड़ी तीज का महत्व, व्रत कथा एवं विधि

भारतीय संस्कृति में त्योहारों का अपना एक अलग ही महत्व है l यहां पर हम देखेंगे कि साल भर में कुछ ना कुछ कोई न कोई पर्व त्यौहार आते रहते हैं और हर त्यौहार का एक अलग संस्कृति परंपरा रीति रिवाज आज भी हमारे भारतीय समाज में विद्यमान है lऔर यही संस्कृति हम भारतीयों को एक सूत्र में बांधकर रखती है कि हम अपने सनातन पुरातन संस्कृति को अपने आप में समाहित कर रखे हुए हैं और उसका समय समय पर पालन करते हुए उन संस्कारों की ज्योति को भविष्य की हमारी पीढ़ियों को समय-समय पर प्रज्वलित कर और कुछ परिवर्तन कर अपने आगे वाली पीढ़ी को देते रहते हैं l इसी क्रम में आज हम चर्चा करेंगे हमारे भारतीय समाज का एक बहुत बढ़िया त्यौहार ,,बड़ी तीज या सत्तू री तीज ,,अथवा सातुड़ी तीज भी कहते हैं ।

जोकि यह परंपरा भारत में राजस्थान से प्रारंभ होकर आज संपूर्ण भारत में जहां भी राजस्थानी समाज व भारतीय समाज मारवाड़ी समाज वैश्य समाज रहते है तो बड़ी तीज को बड़े ही धूमधाम से मनाते है l क्योंकि यह बड़ी तीज अपने आप में एक महत्वपूर्ण त्योहार हैl भारतीय समाज की राजस्थानी समाज की की मारवाड़ी समाज की एक बड़ा ही अच्छा और पति की लंबी उम्र के लिए किए जाने वाला पर्व है। भादों माह के बदी सुदी मैं बड़ी चीज आती है और इस बड़ी तीज में सत्तू का ही बड़ा महत्व है वैसे तो हम देखें यह बड़ी तीज भादो माह में आती है लेकिन इस तीज के आने के अर्थात 2सितंबर के पूर्व 1 सितंबर की शाम को सिंजारा आता है।

क्या होता है सिंजारा

सिंजारे का भी विशेष महत्व है जो कि भादो पक्ष में बड़ी तीज में आतl है जिस दिन तीज होता है उसके 1 दिन पूर्व घर की बहू बेटियां सज संवर कर सिंगार कर मेहंदी लगाकर नए वस्त्र पहनकर और गीत गाकर झूला झूल कर अपनी सखी सहेलियों से मिलती है और सामूहिक फैमिली हो तो सामूहिक रूप से तो सिंजारा होता है l व किया जाता है इसके बारे में यह होता है कि उनकी मनपसंद का भोजन और मिठाई बनाई है और सब कोई साथ में बैठकर बढ़िया स्वादिष्ट मिष्ठान खारा मीठा जो उनको पसंद हो वह सामूहिक रूप से या एकल परिवार है l तो एकल रूप से घर वाले घर के बड़े बुजुर्ग माता-पिता भाई लाते हैं और बहन को सिंजारा कर आते हैं, क्योंकि सिंजारा 1 दिन पूर्व ही किया जाता है और उसके बाद जिस दिन बड़ी तीज होती है तो दिन भर बहु बहन बेटियां पूर्ण रूप से उपवास करके रहती है और रात को चंद्रमा के दर्शन कर उनको अरघ देकर सत्तू का बारा प्रास कर अपना व्रत तोड़ती है l,,,

सत्तू, क्योंकि तीज वाले दिन बहन बेटियां दिनभर उपवास लेती हैं तो अपनी सखी सहेलियों के यहां घूमने जाती हैं और साथ ही साथ झूला का आनंद लेती है सज संवर कर एक दूसरे से मिलती है और शाम को जब हमारे चंद्र देव दर्शन देते हैं तो उनको अरघ देकर कर वह अपने व्रत को तोड़ती है l जिनकी नई-नई जब शादी होती है तो कन्या जाओ अपने घर आती है तो नए कंवर साहब उसके व्रत को बारा प्रास करके सत्तू खिलाकर उनके उपवास को सफल मानते हुए तोड़ते है

सत्तू एक स्वादिष्ट उठाई है जो गेहूं के आटे से भी बनता है चावल के आटे से भी बनता है और चने के आटे से ही बनता है l
बढ़े ही हिसाब से इसको बनाया जाता है और इस त्यौहार को कुंवारी कन्याएं भी करती हैं शादीशुदा औरतें भी करती है कुंवारी युवती ये व्रत करे तो उन्हें अच्छा घर और वर की प्राप्ति होती है और शादीशुदा करती हैं उन्हें घर में सुख शांति समृद्धि की प्राप्ति होती है l जिस प्रकार से बड़ी तीज बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है इसके पूजा का भी अलग ही महत्व है इसके लिए जल का लोटा गाय का कच्चा दूध काली मिट्टी नीम की डाली हल्दी कुमकुम चावल मेहंदी मूली काजल और चूड़ी चुनरी दीपक भक्ति गीत पूजा सामान लगता है l

उसके बाद विधि विधान से चंद्रदेव जी की पूजन किया जाता है l उसके बाद ही अपने घर में आकर वह पूर्व दिशा में बैठकर पूजा पाठ करती हैं l घर में आकर ये जब चंद्र देव का आकाश में उदय होता है तब महिलाएं चंद्र देव को अर्क देकर और कुंकू चावल चढ़ा कर उन्हें प्रणाम करते हुए दिए से उनकी आरती करते और गंगाजल से उन्हें अर्क देकर घर आती है उसके पश्चात वह विवाहित महिला कुंवारी लड़कियां अपना तीज का व्रत तोड़ती है शादीशुदा महिलाएं अपने घर में सुख शांति समृद्धि की कामना करती हैं और कुमारी कन्याएं अपने लिए अच्छा घर बर की कामना करती हैं l

पूजा करने का जब घर की सारी महिलाएं संयुक्त परिवार में है तो मिलकर पूजा करती हैं जिसमें वह अपने घर के पूजा घर में जाती हैं और गोबर से छोटा सा तालाब बना कर अंदर ती…

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