दिल्लीः हर इंसान के जीवन का एक लक्ष्य होता है वह अच्छी कमाई करें उसे अच्छी नौकरी मिले और उसके बाद एक अच्छे शहर में उसका अपना मकान हो आपको बता दें की लोग दिल्ली और एनसीआर मैं नौकरी के उद्देश्य से आते थे और कुछ ही वर्षों में अपना खुद का मकान खरीद कर रहते थे लेकिन इन दिनों ऐसा देखा गया है जिन लोगों ने मकान खरीदने में दिलचस्पी कम दिखाइए
जानिए क्यो
पिछले कुछ वर्षों से लोगों ने दिल्ली और उसके आसपास के इलाके जैसे नोएडा गाजियाबाद फरीदाबाद जैसे शहरों में जहां अपना मकान खरीदते थे वही अब किराए के मकान में रहना पसंद करते हैं एक वक्त था दिल्ली एनसीआर में जब लोग अपना मकान खरीदते थे तो यहां के बिल्डर भी फल फूल रहे थे और गगनचुंबी इमारतें बना रहे थे और इनकी कीमतें भी बहुत ज्यादा हुआ करती थी लेकिन विगत तीन-चार वर्षों से इसमें भारी गिरावट आई है इसका कारण कोविड-19 के चलते एक नया कल्चर डिवेलप हो गया है वह है वर्क फ्रॉम होम ज्यादातर लोग जो मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते थे अपने होम टाउन चले गए और वही से कंपनी का काम करने लगे तो दूसरी तरफ कुछ लोगों की नौकरियां भी चली गई और जिन लोगों ने मकान खरीदा था उनकी EMI नहीं चुका पाते थे जिसके कारण उनको अपने हक सपनों के घर से हाथ धोना पड़ता था यही वजह है कि लोग अब यहां घर खरीदने से बच रहे हैं और किराए के मकान में रहना पसंद कर रहे हैं
किराए में 25% कई वृद्धि
नोएडा के कई हिस्सों में पिछले एक साल के दौरान किराये में 25 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है. वहीं, घरों की बिक्री में कमी आई है. जिले का स्टाम्प एंड रेवेन्यू डिपार्टमेंट लक्ष्य के मुकाबले 50 फीसदी आमदनी ही कर सका है.
कितनी बढ़ी मांग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार विगत वर्षों में नोएडा में किराए की संपत्ति में लगभग 12:30 परसेंट की वृद्धि हुई है तो वहीं ग्रेटर नोएडा में 37 परसेंट देखा गया हैवहीं, किराये के लिए प्रॉपर्टी की आपूर्ति काफी कम है. यही वजह है कि मकान मालिकों ने किराया बढ़ा दिया है तो वहीं दूसरी तरफ लोगों ने दिल्ली एनसीआर में संपत्ति खरीदने में इंटरेस्ट कम दिखाया है