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शहर के तालाब नहीं बचाए लेकिन खर्च बेतहाशा: 37 तालाबों को संवारने के नाम पर 70 करोड़ खर्च, नतीजा-गंदगी, बदबू, कीचड़

इन तालाबों में रजबंधा तालाब,का अस्तित्व खत्म हो चुकी? इस पर माननीय न्यायालय को विचार तो करना होगा? आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने तालाब के अस्तित्व को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में सरकार चाहे किसी भी की रही हो, तालाब पर खर्चा कर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दिया है।

शहर में तालाबों के संरक्षण के नाम पर कुछ साल पहले करोड़ों खर्च किए गए और लगभग 37 तालाबों पर 70 करोड़ से ज्यादा का सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। 2014 में जिस नरैया तालाब को सजाया-संवारा गया था आज वह खत्म हो गया है। तालाब में कीचड़ और गंदगी पसरी हुई है। पानी से बदबू उठ रही है। झाड़-झरोखे उग आए हैं। पता चला कि तालाब को संवारने और सौंदर्यीकरण पर खर्च करने के बाद उसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया।

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नरैया तालाब का सौंदर्यीकरण 2014 में शुरू हुआ और उस पर तीन करोड़ खर्च हुए। अभी फिर डेढ़ करोड़ खर्च हो रहा है। इसके अलावा चार करोड़ एसटीपी के लिए खर्च हो रहा है। तालाब के बीच में टापू बनाया गया था। जगमग लाइट से सजाया गया था। तालाब में जलकुंभी उगने लगे। पानी सूखने लगा और चारों ओर की गई लाइटिंग खराब और चोरी हो गई। इस पूरे परिसर में अब सन्नाटा पसरा रहता है। यहां कोई आता-जाता नहीं।

निगम प्रशासन या कोई भी अधिकारी यहां झांकने तक नहीं गया। रखरखाव और देखभाल नहीं होने की वजह से ही उसकी आज यह हालत हो गई है। पर्यावरण विशेषज्ञ और जल विदों का कहना है कि तालाबों के संरक्षण के लिए तटबंद और साफ-सफाई जरूरी है, लेकिन जब तक पानी पहुंचने और उसे साफ करने पर प्रयास नहीं किया जाएगा, तब तक तालाबों का बच पाना मुश्किल है। फिर चाहे सौंदर्यीकरण पर करोड़ों ही क्यों न खर्च कर लिए जाए। दैनिक भास्कर की टीम ने शहर के कुछ तालाबों का जायजा लिया।

WhatsApp Image 2023 06 15 at 6.03.15 PM शहर के तालाब नहीं बचाए लेकिन खर्च बेतहाशा: 37 तालाबों को संवारने के नाम पर 70 करोड़ खर्च, नतीजा-गंदगी, बदबू, कीचड़

हमर संगवारी (NGO) इन तालाबों को लेकर लगातार कोर्ट से छत्तीसगढ़ ईओडब्ल्यू में लड़ाई रहीं हैं ,अब जल्द ही राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में एक याचिका दायर करने जा रही है।

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12 तालाबों के पानी की हुई थी जांच: राजधानी के 12 तालाबों के जल की भारत हैवी इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (भेल) और निरी की टीम ने सैंपल लेकर जांच की थी। तालाबों में घुलनशील जलीय जीवों के लिए जरूरी ऑक्सीजन की मात्रा कम मिली थी। इसमें कारी, धोबी, आमा, रामकुंड, कंकाली, कटोरा तालाब, राजा, खोखो, बंधवा तालाब, प्रहलदवा तालाब और डूमरतराई बस्ती तालाब व नरैया तालाब 1, 2और 3 शामिल है।

इन तालाबों का सौंदर्यीकरण

-बूढ़ातालाब 30 करोड़
-बड़ा शीतला, पैठू, साहूपारा, पंडरी, कुष्ठ बस्ती, राजातालाब 2.63 करोड़
-कटोरातालाब 4.30 करोड़
-डबरी बंधवा, मलसाय, महादेव, चिरौंजी, सरयूबांधा, पहाड़ी, छुईया 4.21 करोड़
-जरवाय, झगरीन, हांडी 3.27 करोड़
-छठवा, पुरैना, दुर्गा मंदिर, शीतला लालपुर, बंधवा (कचना), गोंदवारा, सोनडोंगरी, शीतला (मोवा), बंधवा (घाट निर्माण), मोवा -तालाब, -शीतला (वार्ड 9), गंगानगर, मोतीबंध तालाब 7.38 करोड़
-डबरी तालाब 1.70 करोड़
-कारी तालाब 6.58 करोड़
-नरैया तालाब 4.70 करोड़
-खोखो, बंधवा और पहलदवा तालाब 5.7 करोड़

कारी तालाब, उखड़ रहे पेवर ब्लॉक

कारी तालाब के सौंदर्यीकरण में साढ़े छह करोड़ रुपए खर्च हुए। चारों ओर बाउंड्री बनी। पेवर ब्लॉक लगे। लाइटिंग हुई। कुछ ही दिन जलने के बाद तालाब की लाइटें खराब और चोरी हो गईं। पेवर ब्लॉक भी उखड़ गए। तालाब में असामाजिक तत्वों का बसेरा रहता है। रात के समय यहां पर शराब और गांजा पीने वालों का जमावड़ रहता है।

बूढ़ातालाब, 30 करोड़ का प्रोजेक्ट

तालाबों पर यह सबसे बड़ा प्रोजेक्ट है। यहां 30 करोड़ खर्च कर सौंदर्यीकरण किया जा रहा है। पहले फेज में 12 करोड़ खर्च किया। ढाई करोड़ के म्यूजिकल फाउंटेन लगाया, अब बंद है। वाटर शॉवर भी खराब हो गए हैं। बच्चों के लिए आसपास प्ले एरिया बनाया गया था। उनके खेलने के सामान टूट गए और चोरी हो गए। कहीं कोई देख रेख नहीं।

कटोरातालाब, 5 करोड़ से रोशनी, अब अंधेरा

करीब पांच करोड़ खर्च कर कटोरा तालाब का सौंदर्यीकरण किया गया। अब अंधेरे में डूबा रहता है। यहां वाटर फाउंटेन बनाया गया था। वह भी बंद है। प्रोजेक्ट शुरू होने के समय यहां पर दो एमएलडी के एसटीपी का प्रस्ताव था, लेकिन वह न लगाकर पैसा सौंदर्यीकरण पर ही खर्च कर दिया गया। इसलिए साफ नहीं हो रहा।

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अधिकारी कहते हैं- तालाबों पर कब्जे रोके

“तालाबों को कब्जा होने से रोकने बाउंड्रीवाल की गई। पेवर ब्लॉक और थाथवे बनाया गया। ताकि लोग सुबह-शाम टहल सकें। तालाबों को गोद लेने का प्रस्ताव लोगों को दिया गया है। लोग या संगठन सामने आते हैं तो तालाबों को रखरखाव सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत हो सकेगी।

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