शिव घाट बैराज एवं पचरीघाट में ठेकेदार कर रहे मनमानी, मुख्य अभियंता बिना देखे लगा रहे सील,जानिए
बिलासपुर /छत्तीसगढ़ में एक तरफ भ्रष्टाचार ख़त्म करने के लिए ईडी लगातार छापे मार रही है तो दूसरी तरफ ऐसे ठेकेदार भी है जो टेंडर मिलने के बाद नियमो को ताक में रखकर अपनी मनमानी कर रहे है। ताजा मामला मेसर्स सुनील अग्रवाल द्वारा बिलासपुर स्थित शिव घाट बैराज एवं पचरीघाट बैराज में डायाफ्राम दीवार डालने के आड़ में करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार का है.जिसकी जानकारी पीडब्लूडी के मुख्य अभियंता को भी है।
क्या है मामला
ठेकेदार सुनील अग्रवाल द्वारा शिव घाट एवं पचरी घाट में मुख्य अभियंता अजय सोमवार एवं कार्यपालन अभियंता की मिलीभगत से भ्रष्टाचार करने के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे है। हमारी टीम द्वारा जब निरिक्षण किया गया तो पचरीघाट में पहले ही स्लैब की गलत सैंटरिंग करके ढलाई का काम शुरू कर दिया गया है, ज्ञात हो कि स्लैब में लगने वाली बैरिंग जिसके ऊपर पब्लिक का आना जाना होगा, इस बेरिंग में पूरे स्लैब का वजन आएगा जिसे गलत तरीके से लगाया गया है, बैरिंग स्लैब की ढलाई के ऊपर दबा जा रहा है जिसकी वजह से बैरिंग का फंक्शन काम नहीं करेगा और इसकी वजह से भविष्य में स्लैब मैं दरार होने या बड़ी दुर्घटना की संभावना है।
ठेकेदार को सरकारी सह
इतना ही नहीं अपने गलत तरीके के काम को छिपाने के लिए ठेकेदार और मुख्य अभियंता सहित खारंग डिवीजन के कार्यपालन अभियंता की सामूहिक मिलीभगत की वजह से वहां चारों तरफ से रेती भरकर और काले कलर की पन्नी डालकर ढलाई का काम शुरू किया गया है जिससे बैरिंग की गलती को पकड़ा ना जा सके, बैरिंग जो लगाई गई है उससे 2 इंच का कंक्रीट का कवर आना चाहिए और छड़ जो है 2 इंच ऊपर होना चाहिए लेकिन ठेकेदार द्वारा बैरिंग के टॉप लेवल से सेंटरिंग प्लेट को 2 इंच डाउन रखा है जिसकी वजह से ना ही छड़ कंक्रीट का कवर आ सकता है और बैरिंग वह स्लैब के अंदर डूब जाएगी, नियमानुसार बैरिंग प्लेट के ऊपर 2 इंच कंक्रीट का कवर और छड जो है उससे 2 इंच ऊपर होना चाहिए।
मजबूत डायाफ्राम वॉल क्यों है जरुरी नियम ?
डायाफ्राम दीवार एक निरंतर प्रबलित कंक्रीट की दीवार होती है जो बांध, सुरंग के दृष्टिकोण, गहरे बेसमेंट और बाड़ों के निर्माण जैसी प्रमुख निर्माण गतिविधियों को मजबूती प्रदान करने के लिए जमीन में निर्मित होती है।ये भूमिगत संरचना के लिए समर्थन, नींव के रूप में या गहरी खुदाई का समर्थन करने के लिए कट ऑफ प्रावधान की सुविधा प्रदान करते हैं।
डायाफ्राम दीवार का काम
एक डायाफ्राम दीवार मिट्टी के नीचे इन-सीटू निर्मित एक आयताकार खंड बनाती है। इसलिए, यह एक भूमिगत कंक्रीट की दीवार होती है। संरचनात्मक स्थिरता और पानी की जकड़न सुनिश्चित करने के लिए इन दीवारों को पैनल-दर-पैनल बनाया जाता है। डायाफ्राम की दीवारों की मोटाई 2.0 से 3.5 मीटर की चौड़ाई के साथ 60 सेमी से 150 सेमी तक हो सकती है। डायाफ्राम की दीवारों का निर्माण 60 मीटर की गहराई तक किया जाना जरुरी है।