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गर्भपात को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा ‘मां ही लेगी अंतिम फैसला’, भारत में गर्भपात को लेकर क्या हैं नियम?

दिल्ली। दिल्ली हाईकोर्ट ने 33 सप्ताह की गर्भवती महिला (33 weeks Pregnant Woman) के गर्भपात की अनुमति मांगने वाली याचिका पर आज सुनवाई की. इसके बाद कोर्ट ने महिला को गर्भपात कराने की मंजूरी दे दी है. दरअसल, भ्रूण मस्तिष्क संबंधी विकृति से पीड़ित है. मेडिकल बोर्ड की एक रिपोर्ट और विशेषज्ञ डॉक्टरों की दलीलें सुनने के बाद हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है

महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए 33 हफ्ते के गर्भ को गिराने की अनुमति मांगी थी. 12 नवंबर के अल्ट्रासाउंड में महिला को पता चला कि कि गर्भ में पल रहे भ्रूण में सेरेब्रल विकार ( मस्तिष्क से जुड़ी गंभीर बीमारी) है. इसके बाद उसने 14 नवंबर को एक निजी अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच कराई. इसमें भी इसी विकार की पुष्टि हुई.

भारत में गर्भपात को लेकर क्या हैं नियम?

भारत में MTP ACT (1971) के तहत अबॉर्शन कानूनी है. इसे बाद में संशोधित किया गया. प्रत्येक महिला को अबॉर्शन का अधिकार है. भारत में पहले 20 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की मंजूरी थी, लेकिन 2021 में इस कानून में संशोधन हुआ. अब भारत में 24 हफ्ते तक अबॉर्शन कराने की अनुमति दी गई है.

अबॉर्शन के बाद जरूर रखें इन बातों का ध्यान-

अबॉर्शन के बाद महिलाओं को कई तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से गुजरना पड़ सकता है। अबॉर्शन कराने के बाद आपको इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए-

-गर्भपात के लिए किसी भी तरह के घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए।
-एक्सपर्ट डॉक्टर की देखरेख में ही गर्भपात कराना चाहिए।
-गर्भपात के बाद डाइट का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
-गर्भपात के बाद शरीर में खून की कमी से बचने के लिए आयरन युक्त फूड्स का शामिल करना चाहिए।
-प्रेग्नेंसी के 8 से 9 सप्ताह के भीतर गर्भपात कराना ज्यादा सुरक्षित माना जाता है।

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