स्काईवॉक पर सियासत हुई तेज,सरकार ने एसीबी और ईओडब्ल्यू को सौंपी फाइल,जानिए

रायपुर / छत्तीसगढ़ में स्काईवॉक (skywalk)को लेकर सियासत एक बार फिर गर्माने लगी है। जिसके चलते यह भी कहा जा रहा है कि चुनावी समर में दोनों पार्टी एक दूसरे की कमियां ढूंढ ढूंढ कर जनता तक पहुंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। ताजा मामला ये है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने स्काई वॉक में दिखी अनियमितता के चलते इसकी जाँच एसीबी और ईओडब्ल्यू को जल्द से जल्द करने का आदेश दिया है । ज्ञात हो कि शुरुआती जांच में यह पाया गया कि 77 करोड़ की परियोजना में जान बूझकर 2 बार प्राक्कलन तैयार किया गया ताकि पीएफआईसी से मंजूरी की आवश्यकता न रहे,
हड़बड़ी में पास हुआ टेंडर ?
पीडब्ल्यूडी विभाग ने स्काई वॉक(skywalk) बनाने के लिए पहला टेंडर 4 फरवरी 2017 को जारी किया था, टेंडर के लिए सिर्फ 15 दिन का वक्त दिया गया, 4 फरवरी तक वित्त विभाग से प्रशासकीय स्वीकृति भी नहीं मिली थी, 15 दिनों में निविदा के लिए कोई आवश्यकता और औचित्य नहीं दर्शाया गया है, न सक्षम स्वीकृति ली गई। बताते चले की विधानसभा निर्वाचन 2018 की अधिसूचना जारी रहने के दौरान ही छत्तीसगढ़ लोक निर्माण विभाग ने पुनरीक्षण प्रस्ताव तैयार कर 5 दिसम्बर 2018 को वित्त विभाग को भेजा यह आचार संहिता का स्पष्ट उल्लंघन है।
राकेश चौबे ने उठाया मामला
स्काईवॉक (skywalk) में की गयी अनियमितता के खिलाफ आरटीआई कार्यकर्ता राकेश चौबे ने मामला उठाया और पाया की इस मामले में पूर्व मंत्री ने खास दिलचस्पी दिखाई थी। पूर्व मंत्री के कार्यालय का नोटशीट से साफ पता चलता है कि निर्माण कार्य पर दिलचस्पी दिखाई और दबाव बनाया गया ”स्काई वॉक भ्रष्टाचार की मूरत और भ्रष्टाचार की इमारत है. शहर में फ्लाईओवर के लिए दो बार लाखों रुपए निकाले गए. उसके बाद पूरे प्लान को चेंज कर कमीशन के लिए स्काईवॉक बनाने का निर्णय लिया गया. दुनिया में स्काई वॉक का चलन समाप्त हो रहा है, लेकिन कमीशन के चक्कर में रमन सिंह और राजेश मूणत ने स्काई वॉक थोप दिया. इसके लिए ना कोई सर्वे कराया गया और ना ही सेंट्रल जेल अथॉरिटी की एनओसी ली गई. शहर के नागरिकों की राय जानने की भी कोशिश नहीं की गई. हम पहले दिन से यह मांग कर रहे थे कि इसमें टैक्सपेयर के पैसों की बर्बादी हुई है और उसकी वसूली राजेश मूणत से की जाए।
क्यों उठे प्रोजेक्ट पर सवाल
37 करोड़ का skywalk raipur प्रोजेक्ट 1 महीने में 67 करोड़ तक पहुंच गया जिस पर वर्तमान मौजूदा सरकार ने चुप्पी साधी। इतना ही नहीं सत्ता परिवर्तन होने के साथ भूपेश सरकार ने भी स्काई वॉक पर जनता की रायशुमारी से लेकर जन कल्याणकारी समिति तक बना ली जिसमे निर्णय लिया गया था कि थोड़े फेरबदल के बाद स्काई वॉक का पुनः निर्माण शुरू किया जायेगा जिससे जनता के पैसो की बर्बादी न हो लेकिन वह भी राजनितिक भेट की बलि चढ़ गयी।
‘स्काई वॉक पर कांग्रेस ने बनायीं समिति
छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलते ही कांग्रेस सरकार ने स्काई वॉक को गिराने या फिर अधूरे काम को पूरा करने को लेकर एक समिति बनाई, कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी ने स्काई वॉक (skywalk )को लेकर लोगों से राय मशविरा किया,उन्होंने 22 सदस्यीय कमेटी के साथ पीडब्ल्यूडी और विशेषज्ञों की स्काई वॉक पर बैठक ली थी, बैठक के बाद ये फैसला लिया गया था कि स्काई वॉक को तोड़ा नहीं जाएगा,अब तक स्काई वॉक को बनाने में 45 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं,अब 31 करोड़ रुपए खर्च कर इस अधूरे निर्माण कार्य को पूरा किया जा सकता है।
दोषियों को मिलेगी सजा
बताया जा रहा है कि भ्रष्टाचार करने के लिए स्काई वॉक का निर्माण कराया जा रहा था, इसकी शिकायत लगातार की जा रही थी.अब सरकार ने उसी स्काई वॉक की जांच कराने का निर्णय लिया है. बहुत जल्द जनता के पैसो का दुरूपयोग करने वाले भ्रष्टाचारी सलाखों के पीछे होंगे।