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महाकुंभ 2025: रुद्राक्ष वाले बाबा सनातन को लेकर कहे बड़ी बात, जानिए

प्रयागराज/ महाकुम्भ का जूना अखाड़ा अपने आप में एक कहानी कहता है । यहां आने के बाद आपको सनातन धर्म में डूबे ऐसे ऐसे दृश्य, साधु महात्मा देखने मिलेंगे जिसके बाद आपको महसूस होगा कि भारत का हिंदू आध्यात्मिक विचारों से ओत प्रोत हो चुका है। हर साधु की एक अलग कहानी है जिसके पीछे कही दर्द है तो कही शिव की भक्ति। आइए जानते है रुद्राक्ष वाले बाबा, महंत विशिष्ट गिरी जी महाराज से क्या संदेश है उनका देश के युवाओं के लिए।

ज्ञात हो कि महाकुंभ में अखाड़े आकर्षण का प्रमुख केंद्र होते हैं. अखाड़ों की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी. कहा जाता है कि उन्होंने सनातन की रक्षा के लिए शस्त्र विद्या में निपुण साधुओं के संगठन बनाए थे. अभी कुल 13 अखाड़े हैं, जिन्हें तीन श्रेणियों- शैव, वैष्णव और उदासीन में बांटा गया है. शैव संप्रदाय के कुल 7 अखाड़े हैं, इनके अनुयायी भगवान शिव की पूजा करते हैं. वैष्णव संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं, इनके अनुयायी भगवान विष्णु और उनके अवतारों की पूजा करते हैं. उदासीन संप्रदाय के 3 अखाड़े हैं, इनके अनुयायी ‘ॐ’ की पूजा करते हैं. ॐ अनन्त शक्ति का प्रतीक है

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